दिपावली क्यों मनाई जाती है, जानिए।
भारत त्योहारों का देश है, यहां कई प्रकार के त्योहार पूरे साल ही आते रहते हैं लेकिन दीवाली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा पर्व होता है। इस त्योहार का बच्चों और बड़ों को पूरे साल इंतजार रहता है। कई दिनों पहले से ही इस उत्सव को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती है।
दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों के त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा।
ऐतिहासिक रूप से ये वो दिन है जब कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। उसका मूल नाम नरकासुर नहीं था पर वो लोगों के जीवन को यातना दे देकर नर्क बना देता था, और इसीलिये लोग उसे नरकासुर कहने लगे। जो दूसरों को दुख, तकलीफ, नरक दे वो नरकासुर है। जब कृष्ण ने इस यातना देने की प्रक्रिया का अंत कर दिया, तो लोगों ने हर घर में दिये जला कर उत्सव मनाया। नरकासुर को मारने की घटना तो खैर बहुत बाद में हुई, पर इस दिन के आसपास के समय में दिये जलाने की परंपरा और संस्कृति 12 से 15000 साल पुरानी है। लोगों ने ये समझ लिया था कि साल के इस समय में उनके जीवन में एक तरह की जड़ता आ जाती थी। तो विचार ऐसा था कि अगर आप एक दिये, एक पटाखे की तरह पूरी तरह से जीवंत, सक्रिय नहीं हैं
दिवाली का क्या महत्व है।
दिवाली के दिन हर शहर, कस्बा और गाँव हज़ारों दियों की रोशनी से जगमगाता है पर ये उत्सव सिर्फ बाहर के दिये जलाने के लिये नहीं है। अंदरूनी प्रकाश आना ज़रूरी है। प्रकाश का अर्थ है स्पष्टता। बिना स्पष्टता के, आपके पास दूसरे जो भी गुण हों, वे आपके लिये कोई उपहार नहीं होंगे, बल्कि बाधायें बन जायेंगे क्योंकि बिना स्पष्टता के विश्वास भी विपत्ति है और आज तो सारी दुनिया में बहुत सारा काम बिना स्पष्टता के ही होता है।
दिवाली की पौराणिक कथाएं।
त्रेतायुग भगवान श्रीराम के नाम से अधिक पहचाना जाता है। महाबलशाली राक्षसेन्द्र रावण को पराजित कर 14 वर्ष वनवास में बिताकर राम के अयोध्या आगमन पर सारी नगरी दीपमालिकाओं से सजाई गई और यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक दीप-पर्व बन गया।
दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग देवी लक्ष्मी जी पूजा करते हैं। उन्हें पूरे साल समृद्धि और आशीर्वाद मिलता है।
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