छठ पूजा क्यों मानते हैं।
छठ पूजा जिसे छठ महापर्व भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह पर्व सूर्य देव और छठी माई की पूजा के लिए समर्पित होता है. यह चार दिनों तक चलने वाला अनुष्ठान है, जिसे श्रद्धालु बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं. धर्मशास्त्रों के अनुसार इस पूजा को छठी माई पूजा, डाला छठ, सूर्य षष्ठी पूजा और छठ पर्व के नामों से भी जाना जाता है. छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
छठ पूजा कितने तारीख से शुरू होगा।
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय (मंगलवार)
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना (बुधवार)
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य (गुरुवार)
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य (शुक्रवार)
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना (बुधवार)
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य (गुरुवार)
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य (शुक्रवार)
छठ पूजा के क्या महत्व है।
छठ पूजा भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है. इस अवसर पर भक्त अपनी प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ते हैं और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं. यह चार दिनों की एक विशेष अनुष्ठान है, जिसमें भक्त अपनी कृतज्ञता और भक्ति के साथ पूजा करते हैं. छठ पूजा विभिन्न रीति-रिवाजों और समारोहों के साथ मनाई जाती है. इस पूजा से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें राजा प्रियवंद, भगवान राम, पांडवों और दानवीर कर्ण की कहानियों का उल्लेख मिलता है।
छठ पूजा पौराणिक कथाएं
छठ पूजा की पौराणिक कथा राजा प्रियव्रत से जुड़ी है। कथा के अनुसार राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी थे क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी. राजा और उनकी पत्नी दोनों संतान प्राप्ति की कामना से महर्षि कश्यप के पास गये। तब महर्षि ने यज्ञ किया और राजा की पत्नी गर्भवती हो गई। 9 महीने पूरे होने के बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन वह मृत पैदा हुआ, जिसके बाद राजा और उसकी पत्नी पहले से भी अधिक दुखी हो गये।
दुखी होकर राजा प्रियव्रत ने अपने मृत पुत्र के साथ प्राण त्यागने के लिए श्मशान में ही आत्महत्या करने का प्रयास किया। तभी वहां एक देवी प्रकट हुईं। देवी ने कहा, मैं ब्रह्मा की पुत्री देवसेना हूं और सृष्टि की मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न देवी षष्ठी हूं।
यदि तुम मेरी आराधना करोगे और अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न दूंगी। राजा ने देवी की बात मानकर कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि का व्रत रखा और देवी षष्ठी की पूजा की। जिसके बाद राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। माना जाता है कि इसी समय से छठ पूजा की शुरुआत हुई।
यदि तुम मेरी आराधना करोगे और अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न दूंगी। राजा ने देवी की बात मानकर कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि का व्रत रखा और देवी षष्ठी की पूजा की। जिसके बाद राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। माना जाता है कि इसी समय से छठ पूजा की शुरुआत हुई।
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