धनतेरस क्यों मनाया जाता है, देखें।
समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि जब अपने हाथों में अमृत
लेकर निकले थे। उसे दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। इसीलिए इस दिन को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि की पूजा, अर्चना करने से आरोग्य
सुख की प्राप्ति होती है।
धनतेरस के क्या-क्या वस्तुएं खरीदनी शुभ होता है।
धनतेरस के दिन विशेष रूप से झाड़ू, सोना, चांदी, पीतल, तांबे के बर्तन खरीदना चहिए। धनतेरस के दिन धनिया खरीदना भी काफी शुभ माना जाता है। इसके अलावा लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां भी लेनी चाहिए। लेकिन सोना खरीदना भी शुभ माना जाता है।
धनतेरस की पौराणिक कथाएं।#dhanteras2024
एक बार मृत्यु की देवता यमराज ने यमदूत से पक्ष किया कि क्या कभी मनुष्य के प्राण लेने में तुमको कभी किसी पर दया आती है। यमदूत ने कहा कि हम तो केवल आपके दिए हुए निर्देशों का पालन करते हैं। फिर यमराज ने कहा कि बेझीझक बताओ कि क्या कभी मनुष्य के प्राण लेने में दया आई है। तब एक यमदूत ने कहा कि एक बार ऐसी घटना हुई है जिसको देखकर ह्रदय पसीज गया। एक दिन हंस नाम का राजा शिकार पर गया था।
और वह जंगल के रास्ते भटक गया था और भटकते भटकते दूसरे राजा की सीमा पर चला गया। वहां एक हेमा नाम का शासक था।
उसने पड़ोस के राजा का आदर सत्कार किया । उसी दिन राजा की पत्नी एक पुत्र को जन्म भी दिया।
ज्योतिषियों ने ग्रह के आधार पर बताया कि इस बालक की विवाह के चार दिन बाद ही मृत्यु हो जाएगी। तब राजा ने आदेश दिया कि इस बालक को यमुना तट पर ब्रह्मचारी के रूप में रखा जाए और स्त्रियों को पहुंचनी नहीं चाहिए। लेकिन विधि का विधान को कुछ और ही मंजूर था, सहयोग वंश, राजा हंस की पुत्री की यमुना तट पर चली गई और वहां राजा के पुत्र देखा। दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया
विवाह के चार दिन बाद ही राजा के पुत्र मृत्यु हो गई तब यमदूत ने कहा कि उस नवविवाहित का करुण विलाप सुनकर हृदय पसीज गया था। सारी बातें सुनकर यमराज ने कहा कि किया करें या तो विधि का विधान है। और यह मर्यादा में रहते हुए काम करना पड़ेगा यमदूत ने पूछा कि ऐसा कोई उपाय है जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सके। तब यमराज ने कहा कि धनतेरस के दिन विधि विधान से साथ पूजा अर्चना और दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। इसी घटना की वजह से धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और माता की पूजा की जाती है। और दीपदान भी किया जाता है।
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