गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है ।
गोवर्धन पूजा के दिन हर घर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली की तिथि की वजह से गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है।

जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।
गोवर्धन पूजा कब है।
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे से हो रहा है, और इसका समापन अगले दिन 2 नवंबर को रात 8:21 बजे होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को ही मनाया जाएगा।
प्रतिवर्ष कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा विधि-विधान से की जाती है। यह पर्व पांच दिवसीय दीपोत्सव के चौथे दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान चला आ रहा है। कहा जाता है कि, इस दिन श्री हरि गोपाल कृष्ण की पूजा करने से साधकों के जीवन से समस्त दुःख दूर होते है। चलिए वैदिक पंचांग से जानते है इस वर्ष गोवर्धन पूजा की सही तिथि, सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे
गोवर्धन पूजा की तिथि
#Goverdhanpooja2024
ज्योतिष के अनुसार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। इसके पश्चात दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से लेकर 05 बजकर 35 मिनट का शुभ मुहूर्त है। इन दोनों शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त 2024
ज्योतिष के अनुसार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। इसके पश्चात दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से लेकर 05 बजकर 35 मिनट का शुभ मुहूर्त है। इन दोनों शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथाएं
गोवर्धन पूजा की प्रणालीकट हपौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को ब्रज में पहले देवराज इंद्र की पूजा हुआ करती थी लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों से इंद्र के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। भगवान कृष्ण की बात मानकर सभी ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करने लगे, जब यह जानकारी देवराज इंद्र को मिली तो उन्होंने अपने घमंड में आकर पूरे ब्रज में तूफान और बारिश से कहर बरपा दिया। धीरे धीरे हर चीज जलमग्न हो रही थी, तब भगवान कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी और इसी के साथ इंद्र के घमंड को भी तोड़ा था। चारों तरह घर अस्त व्यस्त होने की वजह से सभी सब्जियों को मिलाकर अन्नकूट तैयार किया गया था, तब से हर वर्ष इस तिथि को गोवर्धन महाराज पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
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