आठवें दिन होगी मां महागौरी पूजा जाने उपासना विधि,
महागौरी पवित्रता और शांति की देवी है. इस दिन का रंग गुलाबी है. जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है.वही इस दिन कन्या पूजन करने का विधान है. देवी भगवत पुराण के अनुसार भोलेनाथ के वरदान से देवी को गौर अति वर्ण प्राप्त हआ।
मां महागौरी कौन है
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति दुर्गा जी का अष्टम रूप मां महागौरी है
मां महागौरी की रंग अत्यंत गौरा है. इसीलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां गौर वर्ण प्राप्त किया था।
मां महागौरी की पूजा विधि,
मां महागौरी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. पूजा करने के लिए चौकी सजाई जाती है और उस चौकी पर माता की प्रतिमा सजाई जाती है. मां के समक्ष फूल, दीपक, धूप, दीप, फल, चंदन, रोली, अक्षत और मिठाई अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद मां के मंत्रों (Mantra) का जाप किया जाता है और आरती के बाद मां को भोग लगाकर पूजा का समापन किया जाता है।
मां महागौरी की कथा,
नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है।
गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है ।
नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बाँये हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।
इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए ये महागौरी कहलाईं।
अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।
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